बिना खेत की खेती मशरूम अच्छे स्वाद एवं पौष्टिक गुणों के कारण दिनानुदिन आम लोगों का भी बन रहा है लोकप्रिय आहार – निदेशक
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान दरभंगा के द्वारा बेलादुल्ला में 10 दिवसीय निःशुल्क मशरूम प्रशिक्षण का समापन हुँआ
Darbhanga News
सेन्ट- आरसेटी में आयोजित परीक्षा के आधार पर भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दिया जाएगा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र – नीतु कुमारी
बिहार में मशरूम उत्पादन का वातावरण पूर्णतः अनुकूल, जहां इसे पूरे वर्ष भर उगाया जाना संभव – डा चौरसिया
दरभंगा : जिला का लीड बैंक सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के सौजन्य से सेण्ट- आरसेटी, बहादुरपुर के तत्वावधान में बेलादुल्ला में गत 21 से 30 दिसंबर, 2023 के बीच संचालित 10 दिवसीय निःशुल्क मशरूम प्रशिक्षण शिविर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यालय में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए निदेशक प्रभास कुमार वर्मा ने कहा कि बिना खेत के मशरूम अच्छे स्वाद एवं पौष्टिक गुणों के कारण दिनानुदिन आमलोगों का भी लोकप्रिय आहार बन रहा है। बढ़ती जनसंख्या, भूमि विभाजन, कुपोषण, जल की कमी, बेरोजगारी तथा जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को ध्यान में रखकर इसकी व्यावसायिक खेती करना समय की मांग है। खासकर गरीब और पिछड़े परिवार के लिए जो अशिक्षित एवं भूमिहीन हैं, के जीविकोपार्जन हेतु मशरूम उत्तम साधन है।
प्रशिक्षण की फैकल्टी नीतू कुमारी ने कहा कि आज मशरूम प्रशिक्षण के दसवें दिन सेण्ट- आरसेटी, बहादुरपुर कार्यालय में 27 प्रतिभागियों ने लिखित एवं मौखिक परीक्षा दिया है, जिन्हें सहभागिता प्रमाण पत्र तत्काल दे दिया गया है। साथ ही परीक्षोतीर्ण होने वाले सभी प्रतिभागियों को बेंगलुरु से तैयार भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रमाण पत्र भी 15 दिनों में दिया जाएगा। ऐसे लोग प्रमाण पत्र के आधार पर सरकार से सब्सिडियरी युक्त ऋण लेकर बड़े स्तर पर मशरूम का उत्पादन एवं व्यापार कर सकेंगे।
प्रशिक्षण शिविर के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने बताया कि वैसे प्रशिक्षण में 35 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, परंतु बीमार आदि के कारण अन्य लोग परीक्षा में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि मशरूम के औषधीय गुणों एवं आर्थिक महत्वों के कारण इसका उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। मशरूम शाकाहारी लोगों के लिए एक स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं औषधीय उपहार है। बिहार में मशरुम उत्पादन का वातावरण अनुकूल है, जहां इसे पूरे वर्ष उगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बिहार में 2000 टन से अधिक मशरुम का उत्पादन होता है, जिसकी खेती से 20,000 से अधिक परिवार अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
सेवा संस्कृति, जोगियारा के सचिव ललित कुमार झा ने कहा कि मशरूम के रोग प्रतिरोध क्षमता तथा अन्य गुणों के कारण यह औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है, जिसे ”जीवन का अमृत” भी कहा जाता है। नियमित खाने से मसरूम कोलेस्ट्रॉल को कम करता है तथा वायु विकार को दूर कर लीवर को मजबूत एवं रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है। इससे कैंसर का खतरा न्यूनतम हो जाता है। इसकी खेती पेड़- पौधों के अवशिष्टों, यथा गेहूं के भूसे, धान के पुआल, लकड़ी के बुरादे तथा लीची आदि के पत्तों का उपयोग करके किया जाता है। इस अवसर पर मशरूम- विशेषज्ञ अशोक प्रसाद, मशरूम- प्रशिक्षिका प्रतिभा झा, उप संयोजक डा अंजू कुमारी तथा प्रशिक्षक कुंदन कुमार झा, नीतीश कुमार, अंकित मिश्रा आदि सहित 27 प्रतिभागी उपस्थित थे। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, के द्वारा बेलादुल्ला में 10 दिवसीय निःशुल्क मशरूम प्रशिक्षण में
इस प्रशिक्षण में अजय कुमार भगत, मनीषा कुमारी, प्रियंका कुमारी, प्रदीप कुमार, राजीव कुमार पासवान, विपिन कुमार, आशा देवी, पवन कुमार यादव, अरुण कुमार, बालक प्रताप, कमलेश कुमार, चंद्रकांत कुमार, प्रिया कुमारी, मनीषा कुमारी, खुशबू कुमारी, संतोष नायक, राजेश कुमार, छोटू कुमार मंडल, ओमप्रकाश, परमानंद यादव, राजेश कुमार, श्याम कुमार पासवान, अंजनी कुमार झा, ममता देवी, राम मंडल, विकास कुमार साहू तथा अमृता देवी ने सक्रियता पूर्वक पूर्ण उत्साह से भाग लिया।