दरभंगा : कड़ाके की ठंड में जहां अधिकतर लोग अपने- अपने घरों में दुबके रहते हैं। वहीं आस्था और हठयोग के साथ मिथिला के हजारों लोग बाबा वैद्यनाथ की नगरी के लिए कांवर लेकर प्रस्थान कर रहे हैं। कांवरिया कंधे पर कांवर लेकर बोलबम के नारों के साथ नंगे पांव सड़कों पर दिख रहे हैं। ये कांवरिया अपने-अपने घरों से पैदल ही देवघर के लिए प्रस्थान करते हैं। मिथिला से कांवर लेकर पैदल यात्रा करते हुए माघ मास के शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी को बाबा वैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने की परंपरा का निर्वाह करने को लेकर शुक्रवार की सुबह दरभंगा से कांवरियों का जत्था रवाना हुआ। कछुआ चकौती कैंप के साथ दो दर्जन से अधिक कांवर यात्रियों ने शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर से प्रस्थान किया। जत्था में मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा, कछुआ चकौती के कामोद झा, अरुण झा, राजन यादव, सुधीर यादव, हीरा मिश्र, चंद्रमोहन ठाकुर, कौशल झा, देवन मंडल, महेश ठाकुर, सचिन झा, सुनील झा, नाहस रुपौली के नीतीश सौरभ एवं शुभंकरपुर के संतोष कुमार झा आदि शामिल हैं। कांवर यात्रा में शामिल मैथिली के प्रख्यात गीतकार मणिकांत झा ने बताया कि वैद्यनाथ धाम मे कांवर चढ़ाने का आरंभ मिथिला से ही हुआ है। उन्होंने बताया कि पार्वती का मायके मिथिला में होने के कारण मिथिला के लोग उन्हें अपनी बहन मानते हैं और महादेव से भी रिश्ता बनाकर रखे हुए हैं। कांवर प्रथा के शुभारंभ के संदर्भ में मणिकांत झा ने बताया कि शिवरात्रि के दिन देवघर में विवाहोत्सव मनाया जाता है और
उससे पूर्व वसंत पंचमी को महादेव
का तिलकोत्सव होता है, जिसमें मिथिलावासी ससुराल पक्ष की ओर से शामिल होते हैं। ज्ञात हो कि माघी कांवर यात्रा में दरभंगा, सीतामढ़ी,
मधुबनी, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, समस्तीपुर, बेगूसराय तथा नेपाल के तराई क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के लोग लाखों की संख्या में बाबा वैद्यनाथ पर जलाभिषेक करते हैं। इस कांवर यात्रा की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें शामिल लोग इस कड़ाके की ठंड में भी नंगे बदन अर्थात शर्ट, कुर्ता, गंजी आदि खोल कर ही भोजन करते हैं और जमीन पर ही सोते हैं। परंपरा अनुसार कांवरियों को दही एवं मिठाई खिलाकर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू, मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, रंगनाथ ठाकुर, नवल किशोर झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, दीपक कुमार झा, गंधर्व झा आदि ने विदा किया।