आवेदन के साथ नगद रूप में मात्र 10 रूपये का शुल्क पंचायत कार्यालय में पंचायत सचिव के पास जमा करना अनिवार्य होगा
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पटना : अपर मुख्य सचिव बिहार सरकार पंचायती राज विभाग मिहिर कुमार सिंह, ने सभी जिला पदाधिकारी ने बिहार के सभी उप विकास आयुक्त-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी,जिला परिषद् एवं बिहार सभी जिला पंचायत राज पदाधिकारी को पत्र भेजा है । उपर्युक्त विषय के संबंध में दिनांक 05.12.2023 को मुख्य सचिव, बिहार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि वंशावली निर्गत करने हेतु सक्षम प्राधिकार घोषित करने एवं तत्संबंधी प्रक्रियाओं का निर्धारण पंचायती राज विभाग द्वारा किया जायेगा।
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इस आलोक में वंशावली निर्गत करने हेतु निम्नांकित प्रक्रिया निर्धारित की जाती। जिस व्यक्ति को वंशावली प्रमाण पत्र की आवश्यकता है वह शपथ-पत्र पर अपनी वंशावली का विवरण एवं स्थानीय निवासी होने के साक्ष्य के साथ एक लिखित आवेदन संबंधित ग्राम पंचायत सचिव को देगा। आवेदन के साथ नगद रूप में मात्र 10 रूपये का शुल्क पंचायत कार्यालय में पंचायत सचिव के पास जमा करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा। पंचायत सचिव जमा किये गये शुल्क के एवज में आवेदक को प्राप्ति रसीद उपलब्ध करायेगा। यह शुल्क राशि पंचायत निधि का हिस्सा बनेगी। पंचायत सचिव ऐसे प्रत्येक आवेदन का विवरण इस हेतु विशिष्ट रूप से संधारित पंजी में दर्ज करेगा। दोबारा वंशावली निर्गत करने हेतु आवेदक को पंचायत सचिव के पास 100 रूपये का शुल्क जमा करना होगा। पंचायत सचिव आवेदन प्राप्ति के अधिकतम सात दिनों के अंदर जांचोपरांत उपलब्ध कराये गये कागजात / कागजातों से संतुष्ट होकर आवेदन पत्र पर ही उपरांत सील/मुहर और तिथि के साथ अपनी अनुशंसा / मंतव्य अंकित कर संबंधित ग्राम कचहरी सचिव को औपचारिक रूप से अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु उपलब्ध करा देगा। अग्रसारित आवेदन की छायाप्रति पंचायत सचिव अपने कार्यालय में सुरक्षित रखेगा। ग्राम कचहरी सचिव, पंचायत संचिव से प्राप्त ऐसे आवेदन को अपने स्तर पर संधारित पंजी में पूर्ण विवरण के साथ दर्ज करेगा तथा उसे अविलंब ग्राम कचहरी के सरपंच के पास स्वीकृति हेतु उपस्थापित करेगा। सरपंच उस आवेदन पत्र की छायाप्रति कराकर ग्राम कचहरी के किसी सुगोचर स्थान पर चिपकाते हुए आम लोगों से सात दिनों के अंदर आपत्ति (अगर कोई हो) आमंत्रित करेगा। विहित अवधि के अंदर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर सरपंच संलग्न प्रपत्र में अपने सील/मुहर और हस्ताक्षर के साथ वंशावली निर्गत करेगा। अगर सूचना पट्ट पर प्रदर्शित आवेदन पर कोई आपत्ति प्राप्त होती है तो सरपंच उस आवेदन पत्र पर सार्वजनिक सुनवाई कर समुचित निर्णय लेगा। वंशावली दो प्रतियों में तैयार की जायेगी। वंशावली की दोनों प्रतियां सभी कागजातों सहित ग्राग पंचायत सचिव को वापस कर दी जायेंगी। ग्राम कचहरी सचिव उक्त वंशावली की छायाप्रति अपने कार्यालय अभिलेख के रूप में सुरक्षित रख सकेगा। सरपंच से वंशावली प्राप्त हो जाने पर पंचायत सचिव एक प्रति पर अपना प्रतिहस्ताक्षर (countersignature) कर दूसरी प्रति में आवेदक का हस्ताक्षर प्राप्त कर उसे हस्तगत करा देगा तथा दूसरी प्रति के आधार पर पारिवारिक पंजी में उसका पूर्ण विवरण अंकित करेगा। दूसरी प्रति तथा मूल आवेदन एवं उसके साथ संलग्न सभी कागजातों को ग्राम पंचायत कार्यालय में सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी ग्राम पंचायत सचिव की होगी।
पंचायत सचिव के द्वारा ग्राम कचहरी सचिव को अपनी अनुशंसा रागर्पित किये जाने की तिथि से अधिकतम 15 दिनों के अंदर सरपंच को वंशावली पर अंतिम निर्णय लेने की बाध्यता होगी। पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी एवं जिला पंचायत राज पदाधिकारी समय-समय पर जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि वंशावली बनाने की उपर्युक्त प्रक्रिया का अक्षरशः पालन किया जा रहा है। आवेदन की जांच जिस व्यक्ति को अपनी वंशावली की आवश्यकता है, उसे संबंधित ग्राम पंचायत के क्षेत्राधीन किसी ग्राम का स्थानीय निवासी होना आवश्यक है। स्थानीय निवासी होने के प्रमाण स्वरूप निम्नलिखित कागजातों/दस्तावेजों में से किसी एक को आधार माना जा सकता है। ग्राम पंचायत कार्यालय में पंचायत सचिव द्वारा संधारित पारिवारिक पंजी में उस व्यक्ति से संबंधित परिवार का विवरण। आवेदक के पूर्वज का जमीन का खतियान / बांसगीत पर्चा इत्यादि, जिससे इस
बात की पुष्टि होती हो कि वह संबंधित ग्राम का निवासी है। यदि अभ्यर्थी के पास जमीन न हो तो ग्राम का वोटर लिस्ट जिसमें उसका एवं
उसके परिवार का नाम हो आधार कार्ड जिसमें आवेदक का पता दर्ज हो। सक्षम प्राधिकार द्वारा पूर्व में निर्गत निवास प्रमाण पत्र । जन्म प्रमाण पत्र/मृत्यु प्रमाण पत्र जिससे आवेदक के माता-पिता का नाम पता चलता हो।विवाह प्रमाण पन्न मैट्रिकुलेशन अथवा अन्य कक्षा का नामांकन प्रमाण पत्र
किसी भी स्तर पर विहित टाईमलाईन में चूक होने पर उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए संबंधित कर्मी के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई करने हेतु विभाग स्वतंत्र होगा।