Marwari College भगवान बुद्ध के वचनों के संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका है बौद्ध संगीतियों की : कुमारी कविता
संघ में एकनिष्ठता एवं बुद्ध वचनों के संरक्षण में सहायक रहीं बौद्ध संगीतियां : गोविन्द कुमार मीना
दरभंगा : मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत विभाग द्वारा “ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बौद्ध संगीतियों का महत्व” विषय पर एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य डॉ कुमारी कविता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म की चार प्रमुख संगीतियों के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर विचार-विमर्श हुआ। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और ग्रंथों को संरक्षित करने में इन संगीतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनका प्रभाव केवल धार्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी इसकी भूमिका उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ गोविंद कुमार मीना ने बौद्ध संगीतियों को बौद्ध धर्म के प्रसार और संरक्षण का स्तंभ बताते हुए कहा कि यह वे प्रमुख आयोजन थे जिनमें बुद्ध वचनों को संरक्षित किया गया और समय के साथ उनमें आई विकृतियों को दूर किया गया। उन्होंने बताया कि प्रथम संगीति का आयोजन मगध के सम्राट अजातशत्रु द्वारा राजगीर में किया गया, जिसमें बुद्ध के उपदेशों को व्यवस्थित किया गया। द्वितीय संगीति वैशाली में आयोजित हुई, जहां संघ के अनुशासन पर चर्चा की गई। सम्राट अशोक द्वारा पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय संगीति ने बौद्ध धर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। इसके बाद चौथी संगीति का आयोजन कुषाण शासक कनिष्क ने कश्मीर में किया, जो महायान बौद्ध धर्म के विस्तार का महत्वपूर्ण चरण था।
संस्कृत विभागाध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक डॉ विकास सिंह ने विषय परिचय देते हुए कहा कि बौद्ध संगीतियां केवल बौद्ध धर्म के संरक्षण तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने तत्कालीन सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को भी प्रभावित किया। उन्होंने इसे बौद्ध धर्म के अध्ययन और अनुसंधान के लिए प्रेरक बताया।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण महाविद्यालय के बर्सर डॉ अवधेश प्रसाद यादव ने दिया। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म और संगीतियों के क्षेत्र में नवाचार और गहन शोध की आवश्यकता है। धन्यवाद ज्ञापन अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ विनोद बैठा ने किया। उन्होंने बताया कि बौद्ध संगीतियों का अध्ययन भारतीय ज्ञान परंपरा और बौद्ध धर्म दर्शन को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में मंगलाचरण अर्णव गुप्ता ने प्रस्तुत किया। इस व्याख्यान में 35 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। शिक्षकों में प्रमुख रूप से डॉ प्रिया नंदन, डॉ श्रवण कुमार, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ रवि कुमार राम और डॉ सुभाष कुमार सुमन उपस्थित रहे। छात्र प्रतिभागियों में आदित्य कुमार मिश्र, शिवम मिश्र, सूरज कुमार, कमल कुमार चौपाल और शुभेंद्र कुमार आदि शामिल थे।
कार्यक्रम ने बौद्ध धर्म के इतिहास और संगीतियों के महत्व को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने का कार्य किया और प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में गहन अध्ययन के लिए प्रेरित किया।