CITIZEN AWAZ: 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में छाया रहा मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक राज्य के गठन का मुद्दा : डा बैजू

Darbhanga : बाबा नगरी देवघर में आयोजित 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के दौरान मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन का मुद्दा छाया रहा। उद्घाटन सत्र में राजनेताओं ने देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों की तालियां बटोरने के लिए जहां इस मुद्दे को प्राथमिकता दी, वहीं कलाकारों ने भी आम व खास लोगों के दिल में उतरने के लिए ऐसे विषय को प्रमुखता दी। यह बात अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन एवं विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कहा। उन्होंने कहा कि मैथिली अधिकार दिवस के रूप में बीते 22-23 को आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में मिथिला धाम एवं बाबाधाम के लोगों ने एक स्वर में मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को समय की मांग बताया।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए चल रहे अभियान को तेज करने के अतिरिक्त श्रीराम जन्मभूमि के साथ-साथ पुनौरा धाम स्थित मां जानकी की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के कार्य का शुभारंभ करने, मिथिला और अवध के पुरातन संबंधों को मधुरम बनाने एवं इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा घोषित रामायण सर्किट योजना के त्वरित क्रियान्वयन हेतु सरकार पर दबाव बनाने, नेपाल सहित भारत के सरकारी एवं गैर सरकारी कामकाज की भाषा को अनिवार्य रूप से मैथिली बनाने, नेपाल एवं भारत के सरकारी एवं गैर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में मातृभाषा के रूप में मैथिली की पढ़ाई अविलंब शुरू किए जाने, मैथिली भाषा साहित्य एवं धरोहर लिपि मिथिलक्षर के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मैथिली अकादमी को स्वतंत्र अस्तित्व में स्थापित किए जाने आदि से संबंधित 10 सूत्री घोषणापत्र पारित किया गया।
मौके पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के 23वें आयोजन के लिए गठित संरक्षण समिति में अमेरिका के गुआना शहर में अपना कारोबार करने वाले प्रवासी मैथिल अजय झा को शामिल किए जाने की घोषणा करते हुए संस्थान की ओर से उनका अभिनंदन किया गया। अपना विचार रखते हुए अजय झा ने कहा कि मैथिली संसार की संभवत: अकेली ऐसी भाषा है, जिसके आदि काल के प्रामाणिक एवं ठोस गद्य साहित्य उपलब्ध हैं। इसे संवैधानिक दर्जा हासिल हुए 22 साल बीतने के बावजूद यह अब तक ना तो प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बन पाई है और ना ही इसे राजकाज में ही अब तक कोई स्थान मिल पाया है। यह अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा में एमए, पीएचडी, डीलिट आदि की उपाधि मिलती है, लेकिन प्राथमिक शिक्षा अब तक मैथिली भाषा में नहीं होना और सीधे उच्च शिक्षा में आने पर ही मैथिली की पढ़ाई शुरू होना हैरतअंगेज है। उन्होंने मिथिला, मैथिली और मैथिल के सर्वांगीण विकास के लिए वोट की राजनीति में सक्रियता बढ़ाने के साथ ही वैचारिक क्रांति का सूत्रपात किए जाने को समय की जरूरत बताया।
उन्होंने कहा कि मैथिली सेवी विभिन्न संगठनों के आपसी मतभेद के कारण मातृभूमि, मातृभाषा और मातृलिपि की अस्मिता की रक्षा के लिए नए सिपाही तैयार नहीं होना चिंताजनक है। उन्होंने मिथिला, मैथिली और मैथिल के सर्वांगीण विकास के लिए घर-घर में जन जागरण करने के साथ ही इस क्षेत्र की औद्योगिक संपदा और गौरवशाली विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए क्रमवार वैचारिक, सांगठनिक एवं जन आंदोलन चलाने को जरूरी बताया।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि समय पर यदि हम नहीं चेते तो, मिथिला, मैथिली व मैथिल के उत्कर्ष की अधोगति होना अवश्यंभावी है। उन्होंने पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए चल रहे आंदोलन में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए मैथिल अस्मिता की लड़ाई में आगे आने का आह्वान किया। मौके पर प्रो विजयकांत झा, दुर्गानंद झा, विनोद कुमार झा, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढ़ा भाई, डा गणेश कांत झा, सुधीर कुमार झा, प्रवीण कुमार झा, आशीष चौधरी आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

*आचार्य किशोर कुणाल को दी गई श्रद्धांजलि*

प्रेस वार्ता के दौरान सेवानिवृत्त आईपीएस एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहे एवं महावीर न्यास समिति के संस्थापक सचिव आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संस्थान की ओर से शोक संवेदना व्यक्त करते हुए डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताते कहा की उनके निधन से बिहार के शैक्षणिक, धार्मिक एवं सामाजिक जगत में जो शून्यता की स्थिति उत्पन्न हुई है उसे शीघ्र भरा जाना इतना आसान नहीं होगा। विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भूमिका आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का बहुमूल्य श्रोत बनेगा।

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