मौके पर जनसेवा ट्रस्ट के सचिव ललन झा व दूल्हा दुल्हन मंदिर के संस्थापक सह पचाढी महंत रामउदित उर्फ मौनी बाबा को शास्त्री जी के द्वारा सम्मानित किया गया
दरभंगा : शाहगंज बेंता के बाइस नंबर गुमती के समीप आयोजित श्री राम कथा सत्संग के नवमी दिन आचार्य वेदानंद शास्त्री ने शबरी के अत्यंत प्रेम और प्रभु के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति को प्रत्येक मानव के लिए बताएं उन्होंने कहा की हमें भगवान की प्रतीक्षा करनी चाहिए और अपने व्यवहार की समीक्षा करनी चाहिए।
शबरी ने अपने आप को भगवान के सामने युगों युगों से प्रतीक्षा करने वाली अधम के रूप में प्रस्तुत किया और अपने बारे में एक बार ही नहीं तीन बार अधम से संबोधित किया। भगवान श्रीराम ने अपनी उदारता दिखाते हुए नवधा भक्ति के बारे में शबरी माता को बताएं उन्होंने सबसे पहली भक्ति संत की सेवा और दूसरी भक्ति भगवान की लीला कथा में अपने आप को समर्पित भाव से सुनने को बताया कम इन गुरु की सेवा कपट हीन जीवन मंत्र का जाप और वेद में वर्णित सभी प्रकार के अवगुणों से मुक्त करते हुए जो ही मिल जाए उसे स्वीकार करते हुए किसी भी व्यक्ति में किसी भी प्रकार का दोष नहीं देखने से बताएं शबरी माता के द्वारा श्री राम जी को बताए गए सुग्रीव का पता से उन्होंने श्री सीता जी का खोज करते हुए वहां पहुंचे हनुमान जी से भेंट होने के बाद हनुमान जी ने सुग्रीव से मित्रता करवाई और भगवान श्रीराम ने आंख ताई स्वभाव वाले बालिका उद्धार किए। और चतुर्मास बीतने के बाद सुग्रीव की सेना चारों दिशाओं में श्री सीता जी की खोज में लग गए दक्षिण दिशा में हनुमान जी जामवंत जी और अंगद सहित कुछ सेना समुद्र के किनारे मन ही मन विचार रहे थे कि किस तरह समुद्र को पार किया जाए जैसा कि संपाती ने बताया था हनुमान जी विभिन्न प्रकार की बाधाओं को पार करते हुए लंका पहुंचे श्री विभीषण जी से भेंट हुई और श्री सीता जी के पास पहुंच कर उन्होंने उनको सांत्वना देते हुए रावण के अशोक वाटिका को विध्वंस करते हुए लंका को जला डाले तत्पश्चात विभीषण जी का रावण के द्वारा अपमानित होने के बाद राम जी के पास पहुंचना समुद्र में चेतू बनाने की योजना बनाना लंका पहुंचकर रावण की सेना को रावण और उनके पुत्रों सहित लंका पर विजय प्राप्त करते हुए वापस अयोध्या आए और श्री भरत जी से मिलकर और अपने माताओं से गुरुओं से मिलते हुए फिर राजगद्दी को संभाले प्रस्तुत कथा से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयां हो धैर्य पूर्वक भगवान को समर्पित रहते हुए हमें उन कठिनाइयों से पार कर जाना है सच्ची श्रद्धा और प्रेमा भक्ति से अपने जीवन को संचालित करने की प्रेरणा भी हमें रामकथा से मिलती है और सबसे बड़ी सीख अपने आप को सभी प्रकार से मर्यादित रखने से है कथा विश्राम के समय सजल नयन से भक्तों ने अपने श्री व्यास जी को प्रणाम करते हुए कथा को विश्राम दी।
उक्त मौके पर समाजसेवी सह जनसेवा ट्रस्ट के सचिव ललन झा व दूल्हा दुल्हन मंदिर के संस्थापक सह पचाढी महंत रामउदित उर्फ मौनी बाबा को शास्त्री जी के द्वारा सम्मानित किया गया।