CITIZEN AWAZ : कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने किया राज्यस्तरीय खरीफ कार्यशाला का उद्घाटन

  • गोपाल प्रसाद : ब्यूरो

पटना: कृषि मंत्री मंगल पांडेय द्वारा आज बामेती, पटना के सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय खरीफ कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल के द्वारा की गई। इस अवसर पर कृषि विभाग के सोशल मिडिया के लिए किसान चाचा और किसान चाची मैस्कॉट का लोकार्पण किया गया।

मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि गत वर्ष से कृषि विभाग द्वारा विभिन्न फसलों के आच्छादन का आकलन ग्राम स्तर से बिहान ऐप के माध्यम से किया जा रहा है, जिसे जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा सत्यापित कर अंतिम रूप दिया जाता है। इस वर्ष धान का कुल आच्छादन 36.54 लाख हेक्टेयर, मक्का का 2.93 लाख हेक्टेयर, अरहर का 0.56 लाख हेक्टेयर, मूंग का 0.17 लाख हेक्टेयर जबकि मोटे अनाज में बाजरा का 0.15 लाख हेक्टेयर, ज्वार का 0.16 लाख हेक्टेयर, मड़ुआ का 0.29 लाख हेक्टेयर तथा अन्य दलहन का 0.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। धान का निर्धारित आच्छादन क्षेत्र के अनुसार 3.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बिचड़ा गिराने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि में बीज की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य में खरीफ मौसम में किसानों को उचित मूल्य पर गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना अन्तर्गत किसानों को 5069.52 क्विंटल धान का बीज 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य राज्य में अधिक उपजशील नवीनतम प्रभेदों के आधार बीज को सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाना है। राज्य में प्रमाणित बीज उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु प्रमाणित बीज उत्पादन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 10 वर्ष से कम आयु के प्रभेदों के प्रमाणित बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीज उत्पादन हेतु 8152 क्विंटल विभिन्न फसलों के बीज किसानों को उनके द्वारा उत्पादित प्रमाणित बीज की मात्रा के आधार पर 75 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। खरीफ 2024 में फसल विविधता, पारंपरिक और जलवायु अनुकूल फसलों को बढ़ावा देने तथा क्षेत्र विस्तार के लिए बीज वितरण कार्यक्रम अन्तर्गत विभिन्न फसलों के यथा धान 76,272.52 क्विंटल, अरहर 4815.64 क्विंटल, संकर मक्का 22468.32 क्विंटल, मड़ुआ 2640 क्विंटल, बाजरा 666.5 क्विंटल, ज्वार 1106.5 क्विंटल, अन्य मिलेट्स यथा कंगनी, कौनी, सांवा तथा कोदो 2340 क्विंटल, स्वीट कॉर्न 36.66 क्विंटल, बेबी कॉर्न 100 क्विंटल आदि सहित कुल 110446.14 क्विंटल प्रमाणित बीज का वितरण 50 प्रतिशत अनुदान पर किया जा रहा है। इससे बीज विस्थापन दर को बढ़ावा मिलेगा। बिहार राज्य बीज निगम द्वारा किसानों से बीज के लिए ऑन लाईन आवेदन लिया जा रहा है, जिसमें होम डिलीवरी भी शामिल है।


उन्होंने कहा कि इस खरीफ मौसम में यूरिया 9.87 लाख मैट्रिक टन, डी॰ए॰पी॰ 2.50 लाख मैट्रिक टन, एम॰ओ॰पी॰ 0.35 लाख मैट्रिक टन तथा एन॰पी॰के॰ 02 लाख मैट्रिक टन की आवश्यकता होगी। किसानों को ससमय उर्वरक उपलब्ध कराने तथा उचित मूल्य पर उर्वरकों की आपूर्त्ति करने हेतु सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा।
मंत्री ने बताया कि जैविक कोरिडोर योजनांर्गत गंगा नदी के किनारे राज्य के 13 जिलों पटना, नालंदा, बक्सर, भोजपुर, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, कटिहार एवं खगड़िया में जैविक खेती की जा रही है। जैविक कोरिडोर योजना के दूसरे चरण के लिए अंगीकरण एवं प्रमाणीकरण हेतु अनुदान का प्रावधान किया गया है। इस वित्तीय वर्ष में 19574 एकड़ में जैविक खेती करने हेतु किसानों को जैविक उपादान के लिए 6,500 रूपये प्रति एकड़ की दर से अग्रिम अनुदान दिया जायेगा। एक किसान अधिकतम 2.5 एकड़ के लिए इस अनुदान का लाभ ले सकता है। हरी खाद योजना के अंतर्गत राज्य में खरीफ मौसम में 93,000 हे॰ क्षेत्र के लिए किसानों के बीच 90 प्रतिशत अनुदान पर 18600 क्विंटल ढैंचा बीज वितरण किया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि इस विभागीय वर्ष में राज्य के सभी ग्रामों से कुल 5.00 लाख मिट्टी जाँच नमूनों के संग्रहण/विश्लेषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक 417275 मिट्टी जाँच नमूनों का संग्रहण किया जा चुका है। मिट्टी जाँच कार्यक्रम का उद्देश्य मिट्टी की जाँच कर जाँच परिणाम के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरक के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए कृषि योग्य मिट्टी को स्वस्थ रखना, फसल उपज में वृद्धि लाना एवं खेती की लागत को कम करना है।
उन्होंने कहा कि राज्य में खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन हेतु भूमि संरक्षण निदेशालय तथा बिहार जलछाजन विकास समिति द्वारा भूमि एवं जल संरक्षण संबंधित योजनाओं का कार्यान्वयन किया जायेगा। सात निश्चय-2 योजना के अंतर्गत हर खेत तक सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए छोटी-छोटी नदियों से निकलने वाले नाले पर 30 फीट तक का 212 पक्का चेक डैम का निर्माण कराया जायेगा। हर खेत को पानी योजना के तहत् चिन्हित जिन स्थलों पर चेक डैम निर्माण नहीं हो सकेगा, उन स्थलों पर राज्य योजना मद से तालाब एवं कूप निर्माण की योजना ली जायेगी। इसके लिए 207 तालाब एवं 100 कूप निर्माण की योजना अलग से स्वीकृत की जा रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के अंतर्गत जलछाजन ़क्षेत्र में स्थित 5792 जल संग्रहण संरचनाओं का प्रबंधन किया जायेगा, जिस पर 200 करोड़ रूपये व्यय सम्भावित है।
श्री पांडेय ने कहा कि खरीफ मौसम में राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत राज्य में 7079 हे॰ में वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के लिए फलदार वृक्षों का क्षेत्र विस्तार किया जायेगा। इसके तहत् 5379 हे॰ में टिश्यू कल्चर केला, 800 हे॰ में आम, 50 हे॰ में लीची, 400 हे॰ में अमरूद, 450 हे॰ में आँवला का नया बागान लगाने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सहायतानुदान पर पौध-सामग्री उपलब्ध कराई जायेगी। इसके अतिरिक्त शुष्क बागवानी योजना के तहत् 2000 हे॰ क्षेत्र के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सहायतानुदान पर फलदार वृक्ष के पौध-सामग्री उपलब्ध कराया जायेगा। साथ ही, विशेष उद्यानिक फसल योजना के अंतर्गत 100 हे॰ में चाय की खेती के क्षेत्र विस्तार के लिए किसानों को 4.94 लाख/हे॰ इकाई लागत का 50 प्रतिशत सहायतानुदान दिया जायेगा।
सचिव, कृषि विभाग श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष फरवरी माह में ही खरीफ मौसम सभी महत्वपूर्ण योजनाओं की स्वीकृति विभाग द्वारा दी गई। दो महीने से लगातार खरीफ मौसम की तैयारी की जा रही है। इस कार्यशाला के बाद गाँव-गाँव में किसान चौपाल का आयोजन किया जायेगा। इस वर्ष बदलते मौसम को देखते हुए वर्षाश्रित जिलों क्लस्टर में खरीफ मक्का एवं मोटे/पोषक अनाज की खेती के लिए किसानों का चयन कर लिया गया है। खरीफ मक्का के लिए जिलों को ऊँची भूमि में क्लस्टर चयन करने का निदेश दिया गया है। इस वर्ष गरमा मौसम में हरी चादर योजना अन्तर्गत मूँग तथा ढ़ैंचा की खेती को बढ़ावा दिया गया है। साथ ही, तिल की खेती का रकवा बढ़ने से तिलकुट उद्योग को सस्ते दर पर तिल उपलब्ध हो सकेगा।
इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के कृषि निदेशक मुकेश कुमार लाल, निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार, अपर सचिव  शैलेन्द्र कुमार, संयुक्त निदेशक मनोज कुमार, माननीय कृषि मंत्री के आप्त सचिव अमिताभ सिंह, निदेशक, पी॰पी॰एम॰  धनंजयपति त्रिपाठी, निदेशक बामेती आभांशु सी॰ जैन, निदेशक बसोका सनत कुमार जयपुरियार, निदेशक भूमि संरक्षण सुदामा महतो सहित मुख्यालय एवं क्षेत्र के अन्य पदाधिकारी तथा वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।

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