किसान, युवा एवं महिलाएं मशरूम- उत्पादन, प्रोसेसिंग एवं उनके व्यापार में शुरू करें स्टार्टअप, कम पूंजी में होगा अधिकतम लाभ : डॉ चौरसिया
दरभंगा के बेलादुल्ला में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा मशरूम- प्रशिक्षण शिविर आठवें दिन सफलता पूर्वक जारी
दरभंगा : पौष्टिक, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण मशरूम- उत्पादन, व्यापार तथा उपयोग की लोकप्रियता दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इसकी खेती काफी आसान तथा अधिक मुनाफा देने वाली होती है। मशरूम उत्पादन में कृषि अवशेषों के उपयोग से न केवल पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रित होता है, बल्कि इससे रोजी- रोजगार के विस्तृत अवसर भी उत्पन्न होते हैं। उक्त बातें आर- सेटी, दरभंगा द्वारा बेलादुल्ला में चल रहे 10 दिवसीय निःशुल्क मशरूम- प्रशिक्षण शिविर के आठवें दिन के प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए शिविर के संयोजक डॉ आर एन चौरसिया ने कही। उन्होंने कहा कि किसान, युवा एवं महिलाएं मशरूम उत्पादन, खाद्य प्रोसेसिंग एवं उसके व्यापार में अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त एवं सतत आय प्राप्त होगी। मशरूम से पकौड़े, सब्जी, भूजिया, पराठे, आटा, पाउडर, रायता, चटनी, पेड़ा, अचार, मुरब्बा, सलाद, बिस्किट, नूडल्स, समोसा, कोफ्ता, सूप, कढ़ी, बिरयानी, खीर आदि सैकड़ों खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं। बिना खेत की खेती मशरूम उत्पादन कम पूंजी, कम जगह, कम समय, कम रिस्क तथा कम श्रम में अधिकतम लाभ देने वाला उद्यम है। राष्ट्रीय स्तर पर मशरूम उत्पादन में अभी बिहार- प्रथम, उड़ीसा- द्वितीय, महाराष्ट्र- तृतीया, उत्तर प्रदेश- चौथे तथा उत्तराखण्ड- पांचवें स्थान पर है। डॉ चौरसिया ने आह्वान किया कि “मशरूम उगाएं- गरीबी भगाएं” तथा “मशरूम खाएं- रोग भगाएं”।
दरभंगा जिला के मशरूम के मास्टर ट्रेनर प्रतिभा झा ने कहा कि मशरूम एंटीऑक्सीडेंट तथा उत्तम खाद्य पदार्थ है, जिसके उपयोग से हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, एनीमिया, किडनी रोग तथा जोड़ों के दर्द आदि का नियंत्रण होता है। यह हीमोग्लोबिन की कमी तथा एनीमिया को दूर करने वाला उत्तम खाद्य पदार्थ है। मशरूम को अधिकांश कृषि अवशेषों पर ही सफलता पूर्वक उगाया जाता है। इसकी खेती झोपड़ी या घर आदि के अंदर कम जगह में भी की जाती है और इसके लिए किसी कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने बताया कि मशरूम प्रोटीन, विटामिन्स, फाइबर्स, अमीनो एसिड तथा खनिजों से भरपूर होता है, जिसमें वसा और चीनी नगण्य पाया जाता है। इसी कारण मशरूम को ‘सुपर फूड’ माना जाता है। मशरूम को सप्ताह में कम से कम दो बार खाने से शरीर में फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता, तांबा, सेलेनियम, लोहा आदि की आपूर्ति हो जाती है।
शिविर में आज ओएस्टर्ड मशरूम के लिए गेहूं- भूसें के निर्जीवकारण तथा स्पॉन पैकेजिंग का प्रयोगिक प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें मोहम्मद चांद, हेबा अशरफ, जावेद अख्तर, प्रकाश झा, राजीव कुमार यादव, मदन कुमार चौधरी, अनिल कुमार चौपाल, रामाशीष कुमार सहनी, शशिकांत सदा, अंजली कुमारी, विनीता मिश्र, प्रभात कुमार, कंचन कुमारी, अमित वत्स, भक्ति रानी, कीर्ति कुमारी, मुकेश कुमार झा, अरुण कुमार, अपराजिता, रिंकू देवी तथा सुनील कुमार यादव आदि में सक्रिय रूप से भाग लिया।