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दरभंगा ‘भू माफ़िया’ एवं सरकारी कर्मचारी का गठजोड़ करोड़ों की ज़मीन हड़पने का मामला !

BT ACT का गलत हवाल देकर 14 बीघा करोड़ों की  सरकारी ज़मीन हड़पने का सनसनीखेज मामला !

आवेदक ने डीएम दरभंगा से पूरे मामले पर उच्चस्तरीय जांच की मांग की

दरभंगा : पूरा मामला सदर अंचल के मधपुर मौजे से जुड़ा हुँआ है । अनावाद बिहार सरकार ज़मीन ख़रीद बेच का बड़ा मामला का ख़ुलासा। ज़मीन सदर अंचल अंतर्गत मौजा मधपुर इंजिनियरिंग कॉलेज एनएच 57 से सटे हुए अनावाद बिहार सरकार की दर्जनों एकड़ ज़मीन है । मौजा मधपुर के राजस्व थाना नंबर 303, खाता संख्या 66 के खेसड़ा संख्या 236,94,97,98, इत्यादि के दर्जनों खेसरा।

ग्रामीणों ने डीएम दरभंगा को आवेदन देकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। आवेदक का दावा है की की भूमाफिया एवं सरकारी कर्मचारी के गठजोड़ से गलत BT Act का हवाला देकर पूरे ज़मीन को कब्जा करने का खेल खेला गया है। जबकी कुसुम कुमारी देवी जिसके नाम से ज़मीन बेची जा रही है उनके वंशज के नाम से कोई पुराना खतियान या केवाला प्राप्त नहीं है। कुसुम कुमारी देवी उक्त बिहार सरकार ज़मीन पर मालिक कैसे बनी ये बड़ा सवाल है। आवेदक के अनुसार पूरे खेल में कई बड़े पदाधिकारी की संलिप्ता है। अरबों रुपया का यह ज़मीन है जिसे भू माफ़िया बेच रहें थे जहां 1 करोड़ प्रति कट्ठा है ज़मीन।

आपको बता दे की 1-2 महीनें पूर्व
भूमि सुधार उप समाहर्ता सदर संजीत कुमार ने स्थल का निरक्षण कर ख़रीद-बेच पर तत्काल रोक लगा दी थी। सिटीजन संवाददाता से उप समाहर्ता ने कहा की हमें आम लोगों से सूचना प्राप्त हुई थी की सदर अंचल अंतर्गत इंजिनियरिंग कॉलेज मब्बी एनएच 57 के पास अनावाद बिहार सरकार ज़मीन की ख़रीद बेच हो रही है। सीओ सदर से दस्तावेज़ की मांग की है एवं सभी साक्ष्यों का आकलन कर रहें है। डीसीएलआर ने बताया की पूर्व से ही विभाग द्वारा जमाबंदी एवं रसीद पर रोक लगी हुई है।
तत्कालीन राजस्व अधिकारी सदर नेहा कुमारी के द्वारा अंचल को दिये एक रिपोर्ट में भी यह संपूर्ण रकवा अनावाद बिहार सरकार है। ऑनलाइन भी देखा जा सकता है जिसमें भूमि बिहार सरकार ही है।

पूर्व से ही सम्पूर्ण खाता खेसरा रोक सूची में दर्ज थी। प्राप्त सूचना के अनुसार तकरीबन एक वर्ष पूर्व ही रोक सूची से इसे हटा दिया गया जिसके बाद रजिस्ट्री का खेल शुरू हुँआ। ऑनलाइन रजिस्ट्री कार्यालय रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 28 केवाला हो चुका है।

स्थानीय सूचना के अनुसार ज़मीन की किमत 45 लाख से 1 करोड़ प्रति कट्ठा पर बेची जा रही थी। यह पूरा खेल अनावाद बिहार सरकार की भूमि पर कार्यालय खोलकर ही किया जा रहा था। स्थानीय ज़मीनी व्यवसायी के अनुसार संपूर्ण ज़मीन की मार्केट वेल्यू 100-150 करोड़ तक की होगी। सूत्रों की माने तो सरकारी ज़मीन जो तकरीबन 11-12 एकड़ है जिसको हथियाने के प्रकरण में राजस्व के बड़े पदाधिकारी की संलिप्ता हो सकती है । बिहार सरकार द्वारा उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हुई तो राजस्व विभाग के कई आला अधिकारी जांच के दायरे में आ सकते है। शहर के बड़े नामचीन कारोबारियों भी जांच के जद में आ सकते है।अब देखना होगा जिला अधिकारी कब जांच टीम गठन कर जांच शुरू करेंगे।

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