Marwari College मानव जीवन का प्रेरक ग्रंथ गीता – कुमारी कविता
ज्ञान, भक्ति और कर्म का अद्भुत संगम है गीता – विकास सिंह
दरभंगा : मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत विभाग द्वारा गीता जयंती समारोह का आयोजन प्रधानाचार्य डॉ कुमारी कविता की अध्यक्षता में किया गया। उन्होंने गीता के 700 श्लोकों में निहित ज्ञान, भक्ति और कर्म के संदेश पर प्रकाश डालते हुए सभी को गीता जयंती की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि गीता आत्म साक्षात्कार, निष्काम कर्म और भक्ति के सिद्धांतों का एक दिव्य मार्गदर्शन है, जो मानव जीवन को प्रेरित और मार्गदर्शित करता है।
समारोह के संयोजक और संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ विकास सिंह ने गीता के ऐतिहासिक और दार्शनिक महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि द्वापर युग में मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। गीता भारतीय धार्मिक साहित्य का आधारभूत ग्रंथ है, जो ज्ञान, भक्ति और कर्म का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि गीता के उपदेश हर युग में प्रासंगिक हैं और ऐसे कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किए जाने चाहिए ताकि गीता का संदेश समाज तक पहुँच सकें।
समारोह में विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों ने गीता पर अपने विचार व्यक्त किए। गणित विभागाध्यक्ष डॉ श्रवण कुमार ने गीता को मानव जीवन का मैनुअल बताया, जो जीवन को सुव्यवस्थित ढंग से जीने के लिए प्रेरित करता है। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अनुरुद्ध सिंह ने कहा कि गीता के शब्द ब्रह्मांड में नाद रूप में अनुगूँजित होते रहते हैं। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक भी इस विषय पर शोध कर रहे हैं।
दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ प्रिया नंदन ने गीता के निष्काम कर्म के सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें कर्म को फल की इच्छा के बिना करना चाहिए, अन्यथा हम बंधन में फँस जाते हैं। राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रवि कुमार राम ने कहा कि गीता मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं को समझने में सहायक है। गणित विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ जितेंद्र कुमार और अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ हेमंत कुमार ठाकुर ने भी समारोह में अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ विनोद बैठा ने किया। उन्होंने कहा कि महाभारत के युद्ध में शोकग्रस्त अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता का उपदेश दिया गया, जो सकारात्मक मानसिकता और धर्म संस्थापना का आदर्श शास्त्र है। कार्यक्रम के समापन पर महाविद्यालय के बर्सर डॉ अवधेश प्रसाद यादव ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गीता को सुखमय और आनंदमय जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ बताया।
कार्यक्रम में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इनमें प्रमुख रूप से आदित्य कुमार मिश्र, शिवम मिश्र, वसुंधरा कुमारी, वागीशा, संध्या, सूरज कुमार, सुशील शर्मा, कमल कुमार चौपाल और पवन जी राय आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम ने उपस्थित सभी को गीता के संदेश को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया।