प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि के 16वें किस्त वितरण कार्यक्रम का हुआ के वी के सीधा प्रसारण

दरभंगा जाले : कृषि विज्ञान केंद्र जाले में प्राकृतिक खेती जागरूकता कार्यक्रम सह प्रधानमंत्री द्वारा किसान सम्मन निधि के 16वें किस्त के वितरण कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया इस अवसर पर जाले प्रखंड के जोगियारा चंदौना मुरैथा गर्री जाले बरहमपुर रतनपुर राडी समेत अन्य गांव के लगभग 300 किसान एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया की किसान सम्मन निधि कार्यक्रम भारत सरकार का एक अभिनव प्रयास है जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे लगभग 80% किसान लघु एवं सीमांत है जिनको अपने कृषि कार्यों के लिए राशि की व्यवस्था करने में परेशानी होती है ऐसे में यह कार्यक्रम विशेष तौर पर उन्हें कृषि कार्य करने में सहयोग देता है जैसा कि हम जानते हैं कि अभी गरमा फसलों विशेष तौर पर मूंग एवं तिल की बुवाई किसानों को करना है तथा दलहनी एवं तिलहनी फसलों की कटाई करनी है ऐसे में किसानों को इस राशि उनकी खेती में सहयोग मिलेगा

इस अवसर पर आयोजित प्राकृतिक खेती जागरुकता कार्यक्रम में बोलते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्यान वैज्ञानी डॉ प्रदीप विश्वकर्मा ने बताया की प्राकृतिक खेती आज की हमारी आवश्यकता है इस विधि से न केवल हम अपनी खेती में आ रही लागत को काम करते हैं बल्कि अपने अमूल्य धरोहर भूमि का भी स्वास्थ्य वर्धन करते हैं साथ ही हमें उच्च गुणवत्ता के उत्पादन प्राप्त होते हैं यह कार्यक्रम विशेष तौर पर किसानों के मध्य फैले हुए भ्रांतियां को दूर करने के साथ-साथ इसे करने की व्यवहारिक विधि की जानकारी देने के लिए आयोजित किया गया है
केंद्र की गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने बताया कि प्राकृतिक खेती में हम अपने पास उपलब्ध संसाधनों विशेष तौर पर देसी गाय का गोबर मूत्र एवं आसपास मौजूद नीम की पत्ती अकौन का पत्ता हल्दी चुना आदि से बिजामृत जीवामृत निमस्त ब्रह्मास्त्र अग्नियास्त्र आदि तरल पदार्थ तैयार करते हैं जिससे कि गुणवत्ता युक्त फसल तैयार करने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व कीटाणु एवं जीवाणु नाशक हमें उपलब्ध हो जाते हैं और गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त कर लेते हैं इस अवसर पर प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ चंदन कुमार ने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र में लगे हुए प्राकृतिक खेती एवं जलवायु अनुकूल खेती के प्रत्याक्षणों का भ्रमण करते हुए किसानों को बताया कि यह हमारी पारंपरिक विधि है जिसमें आवश्यक संशोधन कर हम आज इसे अपना रहे हैं कार्यक्रम का संचालन मत्स्य वैज्ञानिक डॉ पवन कुमार ने किया कार्यक्रम में जिला परिषद प्रतिनिधि धीरेंद्र कुमार प्रगतिशील कृषक भोला बाबू गोविंद जी आदि मौजूद थे

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