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दरभंगा : लहेरियासराय कमला नेहरू पुस्तकालय दशकों से ईवीएम गोदाम एवं कचड़ा उठानेवाली गाड़ी पार्किंग अड्डा बना है !

CITIZEN AWAZ : 400-500 रुपये छात्रों को प्राइवेट लाइब्रेरी सुविधा के नाम पर हर महीना देना परता है 

दरभंगा : जिला मुख्यालय लहेरियासराय टावर स्थित कमला नेहरू स्मारक पुस्तकालय वर्षो से लचर स्थिति में। पुस्तकालय भवन इवीएम का गोदाम और दरभंगा नगर निगम द्वारा परिसर को कचड़ा उठाने वाली गाड़ी पार्किंग एरिया बना दिया गया है।

आपको बता दे की 1955 ई. – 64 के आसपास पुस्तकालय की निर्माण स्थानीय बुद्धिजीवियों द्वारा की गई थी। स्थानीय लोगो के अनुसरण उस समय मुख्य भूमिका शहर के असर्फी महासेठ का था। पतौर निवासी शिक्षाविद प्रो. जगन्नाथ प्रसाद मिश्र शुरुआत में 10000 पुस्तक पुस्तकालय को दान दी थी। उस समय ज्ञान अर्जित करने का मुख्य केंद्र हुआ करता था कमला लाइब्रेरी। शुरुआती समय में पुस्तकालय के देखरेख के लिए कमिटी का गठन किया गया था।

लाइब्रेरीयन आशीष कुमर ने कहा पुस्तकालय की स्थिति अच्छी नहीं है बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। बीते 10 वर्षो से पुस्तकालय में कोई किताब नहीं आया। केवल मैंगजीन,अख़बार,प्रतियोगिता दर्पण आता है। लाइब्रेरी आते है स्थानीय छात्र लेकिन ख़राब स्थिति देख वापस चले जाते है। वर्तमान स्थिति में लाइब्रेरी में केवल 20-25 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है।

राजद नेता उमेश यादव ने कहा की पुस्तकालय पूर्णतः सरकार की उपेक्षा का शिकार है। उन्होंने कहा की स्थानीय बुद्धिजीवियों द्वारा 1950 के आसपास लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया था। पहले नियमित किताबें, अख़बार, मैगजीन एवं प्रतियोगिता से संबंधित किताबें उपन्यास आती थी। यहाँ केवल छात्र नहीं बल्की 15 साल से लेकर 85 साल तक के लोग आते थे। ज़ब अच्छी व्यवस्था थी तो शहर के गणमान्य लोग यहाँ आते थे। ज़बसे ईवीम गोदाम, नगर निगम कचड़ा स्थल बना दिया गया है छात्र नहीं आते है एक्का दुक्का छात्र भटकते हुए आते थे। यह पुस्तकालय नगर निगम दरभंगा अधीन है। नगर निगम की और से पुरे पुस्तकालय परिसर में कचड़ा उठाने वाली गाड़ी पार्किंग ज़ोन बना दिया गया है। दुर्भाग्यपूर्ण है की शहर के गिला सूखा कचड़ा से पुस्तकालय परिसर में ही जैविक खाद बनाया जाता है जिसके कारण पूरा केम्पस में दुरगंध फैला रहता है। हमलोगों के लगातर प्रयास से यह लाइब्रेरी किसी तरह चल रहा है कई बार तो जिला प्रसासन द्वारा बंद कराने का प्रयास भी किया गया था। जहाँ पहले मुख्य लाइब्रेरी हुआ करता था वहां इ.वी.एम गोदाम है। पुस्तकालय प्रेमी के विशेष अनुरोध पर नगर आयुक्त द्वारा कुर्सी टेबल पंखा आरओ पानी लगवाया गया है। डीएम दरभंगा को कई बार हमने आवेदन दिया है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कई मतलब नहीं है। एक एकड़ मै फैला यह लाइब्रेरी आज सरकारी व्यवस्था के द्वारा ही अतिक्रमित है। उन्होंने बताया की 2007 में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर, विधायक विजय कुमार मिश्र एवं आधा दर्जन जनप्रतिनिधियों ने मिलकर लाइब्रेरी का जीर्णोद्धार किया था। 2007 के बाद किसी जनप्रतिनिधि ने सूद तक नहीं लिया लाइब्रेरी का।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एकबार स्थानीय सांसद गोपाल जी ठाकुर पुस्तकालय निरिक्षण करने पहुंचे थे,कई वादे भी किया लेकिन चुनाव जितने के बाद एक बार भी घूमकर नहीं आए।

वर्तमान में पुस्तकालय की स्थिति दयनीय है लाइब्रेरी में वर्षो पुराने हजारों पुस्तके है जो रखरखाव के अभाव में ख़राब हो रही है जो बढ़ने योग्य नहीं है।

 

जनसेवा ट्रस्ट अध्यक्ष पंकज कुमार झा ने कहा शहर की छात्रों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कमला नेहरू पुस्तकालय सरकारी तंत्र का शिकार है। सरकार शिक्षा के लिए करोड़ों रुपया की योजना लाती है वहीं दूसरी तरफ़ अपनी ही पुरानी व्यवस्था को ख़त्म कर रही है। जहां एकतरफ़ शहर में सरकारी पुस्तकालय बंद होने के कगार पर है। तो दूसरी तरफ़ प्राइवेट लाइब्रेरी अपना पांव तेजी से पसार रहा है। आज दरभंगा में छात्रों को प्राइवेट लाइब्रेरी में 400-600 रुपया प्रति महीना खर्च करना परता है। वहीं सरकारी उदासीनता के कारण दशकों से शहर के मुख्य जगह पर बड़े भूभाग में फैला पुस्तकालय ई.वी.एम गोदाम व निगम कचरा गाड़ी स्थल बना हुँआ है। हम बिहार सरकार से अपील करते है की स्थानीय छात्रों के हित में लाइब्रेरी का जल्द से जल्द जीर्णोद्धार कर सभी समुचित व्यवस्था उपलब्घ कर चालू किया जाए।

 

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