दरभंगा : मैथिली अधिकार दिवस के रूप में दो दिवसीय 21वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की शुरुआत 22 दिसंबर को हैदराबाद स्थित ‘जैन भवन’ में होगी। बुधवार को इस आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता रंजन कुमार झा के साथ मिलकर डा बैजू ने कार्यक्रम स्थल का मुआयना किया। जबकि बृहस्पतिवार से वे इस सम्मेलन में सभी लोगों को आमंत्रित करने के लिए जन संपर्क अभियान चलाएंगे। डा बैजू ने बताया कि सम्मेलन की शुरुआत 22 दिसम्बर की प्रातः बेला में पारंपरिक मैथिल परिधान में भव्य शोभायात्रा के साथ होगी। जबकि संध्या बेला में मंगलाचरण के साथ उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा। मिथिला-मैथिली के उत्कर्ष विषयक विचार गोष्ठी, मिथिला रत्न सम्मान समारोह एवं विद्यापति संगीत मिथिलावासी एवं हैदराबाद के प्रवासी दर्शकों के विशेष आकर्षण का केंद्र बनेंगे। यह जानकारी देते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि लगातार दो दिनों तक हैदराबाद में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिल भाग लेंगे। सम्मेलन में विशेष रूप से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के दो दशक बीतने के बाद भी इसे अब तक यथोचित संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने के कारणों की पड़ताल किए जाने के साथ ही आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि मां जानकी की जन्मभूमि के लोग इस सम्मेलन के बहाने वनवास के दौरान दंडकारण्य क्षेत्र में पति राम एवं देवर लक्ष्मण के साथ सीता के बिताये संकट के दिनों की पड़ताल करते हुए इससे जुड़े स्थलों का भ्रमण करेंगे।
उन्होंने बताया कि दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मणिकांत झा के संचालन में होने वाली मिथिला-मैथिली के उत्कर्ष विषयक संगोष्ठी में वासी एवं प्रवासी प्रतिभागी जहां अपने रचनात्मक विचार रखेंगे वहीं, हरिश्चंद्र हरित के संयोजन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर मिथिला एवं मैथिली के विभिन्न आयामों पर केंद्रित ‘दंडकारण्य’ नाम से स्मारिका का प्रकाशन भी किया जाएगा। स्मारिका के संपादन का कार्य डॉ महेंद्र नारायण राम एवं प्रवीण कुमार झा की संयुक्त देखरेख में हो रही है। उन्होंने बताया कि मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा एवं संस्थान के सचिव प्रो जीव कांत मिश्र के संयोजन में दोनों दिन विद्यापति संगीत एवं आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसमें रामबाबू झा, भगवान बाबू झा, माधव राय, अरविंद सिंह, जूली झा, सोनी चौधरी, नीरज कुमार झा सहित मैथिली मंच के दर्जनों शीर्षस्थ कलाकार अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए मिथिला के विभिन्न इलाकों से जाने वाले प्रतिनिधि 19 दिसंबर की सुबह स्पेशल ट्रेन से गंतव्य के लिए प्रस्थान करेंगे।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि इस आयोजन के बहाने मिथिला एवं दंडकारण्य के बीच के संबंधों को परखने में मदद मिलेगी। मणिकांत झा ने कहा कि यह आयोजन मिथिला और दंडकारण्य के संबंधों को जीवंत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। सचिव प्रो जीव कांत मिश्र ने कहा कि यह आयोजन मिथिलावासी के उत्कर्ष को एक नया स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि यह आयोजन अनेक रचनात्मक कीर्तिमान गढ़ेगा।