दिल्ली : साल 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों को देखते हुए देशव्यापी युवा आंदोलनों की गतिविधि तेज हो गई है। रविवार 18 दिसंबर को युवा नेता अनुपम के नेतृत्व में संयुक्त युवा मोर्चा के शीर्ष नेताओं की बैठक संपन्न हुई। बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में संयुक्त युवा मोर्चा की भूमिका और युवाओं के एजेंडे को प्रभावी रूप से राजनीतिक पटल पर स्थापित करने पर विस्तृत चर्चा हुई।
आपको बता दें कि बीते अप्रैल के महीने में युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम के पहल पर देश भर के रोजगार और युवा आंदोलनों का एक संयुक्त मोर्चा गठित किया गया था। जिसके बाद से ही दिल्ली,इलाहाबाद, पटना,भोपाल देहरादून सहित कई शहरों में महापंचायत और अलग अलग अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में एक बड़ी महारैली कोसी क्षेत्र के सुपौल में भी हुई थी। जो खासा चर्चा में रहा था।
रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में संयुक्त युवा मोर्चा ने प्रस्ताव पास किया है कि देश में ‘पढ़ाई कमाई दवाई’ जैसी मूलभूत सुविधाओं की गारंटी के लिए संघर्ष होगा।
बेरोजगारी को 2024 चुनाव का प्रमुख सवाल बनाकर ‘भरोसा – भारत रोजगार संहिता’ लागू कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा। साथ ही, रोजगार पर सरकार के भ्रामक दावों की पोल खोली जाएगी!
संयुक्त युवा मोर्चा की मीटिंग में देश में आजीविका के गहराते संकट के संदर्भ में नोट किया गया कि मौजूदा केंद्र सरकार के इसे हल करने को लेकर कतई गंभीर नहीं है, उल्टे भाजपा सरकारों द्वारा रोजगार सृजन और रिकॉर्ड सरकारी नौकरी मुहैया कराने के बढ़ा चढ़ा कर दावे किए जा रहे हैं जिनका सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। बेरोजगारी से त्रस्त होकर छात्रों व युवाओं की तेजी से बढ़ती सुसाइड की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई गई। हाल में बेकारी के मुद्दे को लेकर देश का ध्यान आकृष्ट कराने के मकसद से युवाओं द्वारा संसद में किए गए प्रदर्शन में यूएपीए जैसी धाराएं लगाने को अनुचित बताते हुए संसद सत्र में चर्चा कर आजीविका संकट करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई। संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा बेरोजगारी के समाधान के लिए तैयार किए गए ऐजेंडा(भारत रोजगार संहिता-भरोसा) को लेकर देशव्यापी अभियान चलाने और आम चुनाव तक इसे देश का प्रमुख राजनीतिक विमर्श में लाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। तय किया गया कि विपक्षी दलों को ऐजेंडा भेजा जाएगा और इसे अपने पार्टी प्रोग्राम में शामिल करने की मांग की जाएगी। समर्थन के लिए समाज के विभिन्न तबकों के बीच जाने का भी निर्णय लिया गया।
प्रयागराज, लखनऊ, देहरादून समेत देश भर में युवाओं द्वारा जारी आंदोलनों के समर्थन करने का भी निर्णय लिया गया।
अभियान के लिए तय किए गए प्रमुख मुद्दों की सूची भी जारी की गई ।
1- देश में रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए ।
2- सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े एक करोड़ पदों को पारदर्शिता के साथ अविलंब भरा जाए।
3- सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग/संविदा व्यवस्था पर रोक
4- रेलवे, पोर्ट, बैकिंग-बीमा, कोयला, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण पर रोक लगे।
5- पढ़ाई कमाई दवाई जैसी मूलभूत सुविधाओं की गारंटी हो।
6-संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ऊपर के एक फीसद अमीरों पर संपत्ति व उत्तराधिकार जैसे कर लगाया जाए।
नेताओं ने बैठक में युवाओं के मुद्दों पर अनवरत संघर्ष की प्रतिबद्धता दोहराई और युद्ध स्तर पर अभियान को जमीन पर उतारने का काम जारी रखने का संकल्प लिया।