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Online Shopping : ऑनलाइन खरीदारी में हो रहा धोखा, ऑनलाइन में आधे से ज्यादा माल नकली होता है

नकली माल ऑनलाइन शॉपिंग से सावधान ब्रांडेड बताकर आधे से ज्यादे – दरभंगा डिविजनल चेंबर ऑफ कॉमर्स

 

स्पेशल रिपोर्ट : इन दिनों सारे देश में ऑनलाइन व्यापार का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि ऑनलाइन व्यापार में ग्राहक को घर से निकलना नहीं पड़ता है ।सामान घर पर ही मिल जाता है । सामान आने के बाद भुगतान करना पड़ता है और इसके बाद भी सामान पसंद नहीं आने पर वापस करने की सुविधा रहती है ।इन सारे कारणों से ग्राहक ऑनलाइन व्यापार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ऑनलाइन व्यापार की एक खास बात और है। ये कई बार सामान इतने कम दामों पर ऑफर करते हैं कि सहज विश्वास नहीं होता है। ऑनलाइन व्यापार के इस बढ़ते प्रचलन के कारण करोड़ों की पूंजी लगाकर जिन लोगों ने प्रतिष्ठान बना रखे हैं, स्टाफ की बहाली कर रखी है, बिजली का लंबा चौड़ा खर्च उठा रहे हैं, भाड़े और ब्याज के लंबे खर्च को वहन कर रहे हैं उन्हें काफी असुविधा भी होती है। देश के विभिन्न व्यावसायिक संगठनों की ओर से लगातार सरकार के समक्ष यह मांग रखी जाती रही है कि ऑनलाइन व्यापार पर अंकुश लगाया जाए। ऑनलाइन व्यापार पर भी वे सारे सरकारी नियम और कानून लगाये जाएं जो एक प्रतिष्ठान पर लगाए जाते हैं।
दरभंगा डिविजनल चेंबर ऑफ कॉमर्स ने यह मन बनाया कि हम ऑनलाइन व्यापार की गहराई में जाकर यह छानबीन करें कि आखिर इतनी सुविधा के साथ कई बार सस्ते दामों पर ऑनलाइन व्यापार करने वाले माल कैसे बेच लेते हैं। सिर्फ माल ही नहीं दवा भी ऑनलाइन व्यापार में इतने कम दामों पर बेचे जाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जितने कम दामों पर दुकानदार को लागत भी नहीं आती है।
हमारे चैंबर के द्वारा व्यापक स्तर पर ऑनलाइन व्यापार से आए हुए माल का सर्वेक्षण करवाया गया। ग्राहकों से हमने संपर्क किया। उनके द्वारा मंगवाए गए माल का निरीक्षण किया। उनकी प्रतिक्रिया जानी। माल की गुणवत्ता को हमने देखा बरखा।
आज हम आम जनों के सामने और उपभोक्ताओं के सामने अपने सर्वेक्षण का वह चौंकाने वाला तथ्य रखने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी भौचक रह जाएंगे।
ऑनलाइन व्यापार में जो माल किसी स्टैंडर्ड कंपनी के नाम पर ग्राहकों को भेजा जाता है उसमें से आधे से ज्यादा माल नकली होता है अर्थात जिस ब्रांड का वह माल बतलाया जाता है वह माल उस ब्रांड का नहीं होता है। इसी प्रकार आधे से अधिक माल होता तो उन्हीं कंपनियों का है जिन कंपनियों का बतलाया जाता है लेकिन उन कंपनियों के द्वारा जो माल रिजेक्ट कर दिया जाता है वैसे माल को खरीद कर और उसकी रिपेयरिंग कर उसे ग्राहकों को बेचा जाता है। आधी बार से ज्यादा समय माल वापसी की शर्त पर बेचे जाने के बावजूद ग्राहकों को पसंद नहीं आने पर माल वापस नहीं हो पता है। यहां तक की जो दवाइयां भी विभिन्न कंपनियों के नाम पर ग्राहकों को भेजी जाती है उसमें कुछ जीवन उपयोगी दवाओं को छोड़कर काफी अधिक मात्रा में नकली दवाई, नकली ब्रांड नाम से सप्लाई की जाती है। कई बार तो ग्राहकों के साथ ऐसी ठगी हुई है कि उन्होंने जब अपनी पैकेट खोली तो उसमें उनके द्वारा मांगते गए सामान की जगह कुछ भी कचरा भरा हुआ था। ऐसे मामलों में भी ऑनलाइन व्यापार करने वाले आपकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं होते हैं। हां ऑनलाइन व्यापार करने वालों में दो-चार ब्रांड ऐसे हैं जिनकी विश्वसनीयता औरों के मुकाबले थोड़ी बेहतर है लेकिन गुणवत्ता के हिसाब से नहीं। कई बार ऑनलाइन मंगाए गए सामान में गारंटी या वारंटी का कोई कार्ड नहीं निकलता है। उस सामान में कोई समस्या आने पर ग्राहक परेशान हो जाता है।
हम अपनी सरकार से यह जानना चाहते हैं कि आखिर एक आम उपभोक्ता कब तक इस प्रकार के ठगी का शिकार होता रहेगा ।गलत व्यापार करने वाले, गलत भरोसा दिलाने वाले ,गलत माल को गलत नाम से बचने वाले लोगों पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार कब पहल करेगी। उपभोक्ताओं को सरकार से अपेक्षित कानून और न्याय की आशा है।

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