मिथिला में आकर मैं धन्य हो गया : प्रतिकुलपति
कहा- संस्कार व संस्कृति यहीं सीखी
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय में सौप्रस्थानिक कार्यक्रम आयोजित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह का सफलतम तीन वर्षों का कार्यकाल कल 19 अगस्त को पूरा हो रहा है। रविवार को उनके सम्मान में दरबार हॉल में
सौप्रस्थानिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह काफी ज्ञानवान हैं और उनके प्रशासनिक अनुभव का मुझे भरपूर लाभ मिला।वैसे तो उनके साथ मात्र छह माह ही कार्य करने का अवसर मिला लेकिन उनका सुझाव व परामर्श हमेशा फलदायी रहा। प्रतिकुलपति के नाम की व्याख्या करते हुए कुलपति ने कहा कि वे सिद्ध भी हैं और उद्धारक शंकर के साथ साथ सिंह वाली छवि भी रखते हैं। कुलपति ने उनके यशश्वी दीर्घ जीवन की कामना करते हुए बहुत जल्द वीसी बनने की शुभकामनाएं दी।
वहीं विदा हो रहे प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह कार्यक्रम के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों व कर्मियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा जगत में उन्होंने कई जगहों पर सेवा दी है लेकिन संस्कार व संस्कृति यहीं सीखी। पूर्व जन्म के पुण्य जब जमा होते हैं तो लोग मिथिला आते हैं। मैं यहां आकर धन्य हो गया हूँ। यहां की जो विद्वत परम्परा रही है, उसे आगे भी जारी रखूंगा। उन्होंने कहा कि सीखने की धारा कभी सुखनी नहीं चाहिए। वे यहां रोज सभी से कुछ न कुछ सीखते थे। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि मिथिला की संस्कृति व संस्कार के साथ विद्वतजनों की विद्वता लेकर वे यहां से जा रहे हैं। उनके कारण किसी को अगर कष्ट पहुंचा हो तो वे माफ करेंगे।उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि प्रतिकुलपति के रुप मे अपने तीन साल के कार्यकाल को उन्होंने आकर्षक, आनंददायी, प्रेरणादायी,प्रगतिशील व उल्लासपूर्ण व प्यारभरा बताया।
डीन डॉ शिवलोचन झा के संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम का संचालन भी उन्होंने ही किया। स्वागत भाषण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार झा ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कुलसचिव प्रो0 ब्रजेश पति त्रिपाठी ने कहा कि अल्प समय मे ही प्रोवीसी प्रो0 सिंह से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। इसके पूर्व उनके सम्मान में अभिनन्दन पत्र धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो0 दिलीप कुमार झा ने पढ़ा। इसी क्रम में प्रो0 झा ने कहा कि प्रोवीसी ने यहां निर्भीकता से काम किया। सही बातों को कहने में उन्होंने कोई हिचक नहीं दिखाई। आन,बान व शान से उन्होंने सभी कार्यों का सम्पदान किया। शीतल हृदय का बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां से विदा होने के बाद भी प्रोवीसी प्रो0 सिंह की गरिमा व प्रतिष्ठा उनके कृतित्व के साथ विश्वविद्यालय में जीवंत रहेगी। विश्वविद्यालय की ओर से प्रतिकुलपति का पाग व चादर के साथ स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। व्याकरण विभाग की सहायक प्रध्यापिका डॉ साधना शर्मा व दर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ शम्भू शरण तिवारी ने भी चादर व स्मृति चिह्न भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। वहीं सीनेट सदस्य मदन प्रसाद राय, स्नातकोत्तर विभागों के अध्यक्षों डॉ दयानाथ झा, डॉ रामनिहोरा राय, डॉ शम्भू शरण तिवारी,डॉ विनय कुमार मिश्र,प्रॉक्टर प्रो0 पुरेन्द्र वारीक समेत विकास पदाधिकारी डॉ पवन कुमार झा, सीसीडीसी डॉ दिनेश झा, डॉ रामसेवक झा,डॉ विभव कुमार झा,कर्मचारी नेता डॉ रविन्द्र कुमार मिश्र ने भी प्रतिकल्पति के कार्यकाल को अति सफल बताते हुए उनके स्वस्थ लंबे जीवन की कामना की। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग सूचना वैज्ञानिक डॉ नरोत्तम मिश्रा व गौरव कुमार का रहा।