दरभंगा बहेड़ा : महाविद्यालय बहेड़ा दरभंगा में द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘पर्यावरण एवं मिथिला में जल प्रबंधन’ था। इस कार्यक्रम का शुभारंभ हरिद्वार से पधारे मातृसदन, जगजीतपुर,कनखल के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। स्वामी जी के नेतृत्व में यह संस्था पिछले तीन दशकों से गंगा और हिमालय के संरक्षण में संघर्षरत् है।
कामेश्वरसिंह-दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.शशिनाथ झा, मिथिला के पर्यावरण पर बोलते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में प्रकृति के साथ सह-अस्तित्वात्मक जीवन जीने को बताया गया है। प्रसिद्ध वनस्पतिशास्त्री डॉ. विद्यानाथ झा नें कहा कि पर्यावरण क्षरण आज वैश्विक संकट बन गया है। मिथिला के नदियों एवं वर्षा के जल में दिनोंदिन ह्रास एक गंभीर एवं मानवजनित समस्या है। पर्यावरण एवं नदी पर बोलते हुए डॉ. टुनटुन सिंह ने बताया कि सारी मानव सभ्यताएं नदी के ही किनारें पैदा हुई हैं। लेकिन मनुष्य अपनें अत्याधिक भौतिक लालच की वज़ह से आज नदी के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच के संयोजक अजित कुमार मिश्र नें कमला नदी के सांझी सांस्कृतिक विरासत पर बोलते हुए कहा कि कमला नदी मिथिला और नेपाल की जीवनधात्री है। प्रसिद्ध साहित्यकार बुद्धिनाथ मिश्र नें नदियों के ऊपर गीत पढ़ते हुए कमला, बागमती और काली नदी के अविरल सौंदर्य की बात की। डॉ. जावैद अब्दुल्लाह ( लेखक एवं दार्शनिक) नें प्रकृति, जीवन और नागरिकता पर अपनें विचार प्रस्तुत किए। इन्दिरा कुमारी ने जल, ‘पर्यावरण संकट और महिलाएं’ विषय पर अपना विचार प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ. देव नारायण झा ने कहा कि हमें पर्यावरण के संस्कृत आधार को पुनः
अवलोकन करना होगा। यह सृष्टि पंचतत्व से बना है जिसे ठीक से समझना होगा। पृथ्वी हमारी माता है और माँ के रक्षार्थ के लिए संतानों को आगे आना होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीणा मिश्र ने किया। कार्यक्रम मेें आए लोगो के प्रति महाविद्यालय डॉ. एस.के.पाठक नें धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम मेें तालाब बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता नारायणजी चौधरी,मनीष कुमार त्रिगुणायत (रिसर्च स्कॉलर), मोदनाथ मिश्र, नन्दन, सज्जन एवं महाविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।