एमएलएसएम कॉलेज में Vidyapti Seva sansthan: आगामी एक मार्च को होगा ‘वसंतोत्सव’ का आयोजन

कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी का अभिनंदन करेगा विद्यापति सेवा संस्था

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी के कार्यकाल के उपलब्धिपूर्ण पहले महीना के पूरा होने पर आगामी एक मार्च को विद्यापति सेवा संस्थान उनका अभिनंदन करेगा। जानकारी देते हुए संस्थान के महासचिव सह विश्वविद्यालय के सीनेट व सिंडिकेट के वरिष्ठ सदस्य डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया की स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में आयोजित ‘वसंतोत्सव’ में कुलपति के कार्यकाल के पहले माह में उनकी अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए मिथिला की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप पाग, चादर, पुष्पगुच्छ, फूलों की माला एवं अभिनंदन पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो शशि नाथ झा करेंगे। जबकि इस अवसर पर अनेक गणमान्य लोगों की गरिमामय उपस्थिति रहेगी।
उन्होंने कुलपति के कार्यकाल के पहले माह की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपना पदभार संभालते ही मिथिला के विभूतियों क्रमशः कवि कोकिल विद्यापति, मंडन मिश्र, अयाची मिश्र, लक्ष्मीनाथ गोसाई, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, जननायक कर्पूरी ठाकुर अमर शहीद ललित नारायण मिश्र, बाबा नागार्जुन आदि के नाम पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चेयर स्थापना एवं इसके समुचित क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय के बजट में प्रावधान किए जाने में जो तत्परता दिखाई है यह ना सिर्फ काबिले तारीफ है, बल्कि इससे आम मिथिलावासी में उमंग एवं उत्साह का संचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय में कामकाज का वासंती माहौल कायम करने में दिख रही सक्रियता भी काफी अहम है। आज उनके कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय की कार्य संस्कृति में आयी तत्परता का परिणाम है कि एक माह की छोटी सी अवधि में विश्वविद्यालय में चारों तरफ उमंग, उत्साह व‌ विश्वास का वातावरण काफी द्रूतगति से कायम हुआ है।जहाँ शिक्षकों एवं कर्मचारियों की प्रोन्नति में कुलपति ने काफी तत्परता दिखाई है वहीं वेतन एवं पेंशन सहित अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान को उन्होंने अपनी कार्य सूची में सबसे ऊपर रखा है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इसके पुनरूद्धार के लिए संकल्पित होना, ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर के समुचित रख-रखाव में तत्परता दिखाना, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सुदृढ़ीकरण सहित खेल निदेशालय व अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की स्थापना में अभूतपूर्व दिलचस्पी दिखाना, खेल प्राधिकरण के गठन आदि में उनकी दूर दृष्टि विश्वविद्यालय के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण काफी महत्वपूर्ण होगा।

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